शनिवार, 27 जून 2009
इटावा की बैंकों में नकली नोट
इटावा। स्टेट बैंक भरथना से रिजर्व बैंक को नकली नोट भेजे जाने पर स्टेट बैंक के मैनेजर के खिलाफ घोखाधड़ी का मुकदमा भरथना थाने मे दर्ज किया गया। पुलिस के एक प्रवक्ता के मुताबिक रिजर्व बैंक के मैनेजर ने इटावा के भरथना थाने जो मामला दर्ज कराया है। उसके मुताबिक 28.11.08 को स्टेट बैंक भरथना के मैनेजर ने रिजर्व बैंक को 500 के 6 नकली नोट यानि 3000 रूपए भेज दिये जिनको पड़ताल के नकली पाये जाने पर पुलिस कार्यवाही के लिये मामला दर्ज कराया है, इस मामले के दर्ज होने से बैंक कर्मियों में हडकम्प मच गया है। पाकिस्तान से आईएसआई के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था पर हमला बोलने के उद्देश्य से भेजे जा रहे जाली नोट के कारोबारियों में इटावा की बैंकों के कर्मचारियों की संलिप्तता भी है। इटावा की भारतीय स्टेट बैंक एवं सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया द्वारा रिजर्व बैंक को भेजे गए जाली नोटों ने रिजर्व बैंक प्रशासन की नींद उड़ा दी। अब रिजर्व बैंक के निर्देश पर दोनों बैंकों के कर्मचारियों के विरुद्व भरथना और इटावा कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा दिया गया है।इटावा की बैंकों से मिले जाली नोटों की यह घटना नई नहीं है परंतु न जाने क्यों कि उन बैंक कर्मचारियों का अभी तक बैंक प्रशासन अथवा पुलिस प्रशासन खुलासा नहीं कर पा रहा है जो बैंक की शाख को तो बट्टा लगा ही रहे हैं साथ ही देश की अर्थव्यवस्था के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। अभी तक पांच सौ एवं एक हजार के जाली नोटों के प्रचलन की ही बातें होती थी परंतु भारतीय स्टेट बैंक द्वारा रिजर्व बैंक को भेजे गए सौ-सौ के नोटों के बंडलों में 24 जाली नोट देख रिजर्व बैंक में हड़कंप मच गया। वहीं सेंट्रल बैंक द्वारा भेजे गए पचास-पचास के नोटों के बंडलों में भी चार नोट जाली पाए गए हैं। इस मामले में बैंकों के शाखा प्रबंधकों ने अपने ही कर्मचारियों के विरुद्ध मुकदमा कायम करा दिया है।भारतीय स्टेट बैंक में पहले भी कई बार जाली नोट पाए गए। रिजर्व बैंक ने पहले भी उन कर्मचारियों के विरुद्ध मुकदमा कायम कराया परंतु कानून के हाथ जाली नोटों के कारोबारियों तक नहीं पहुंच सके। पूर्व में स्टेट बैंक की मुख्य शाखा के अलावा भर्थना एवं जसवंतनगर की शाखा में भी जाली नोटों के मामले सामने आए और पुलिस तक मामला पहुंचा भी मगर आज तक न तो जाली नोटों के कारोबारियों को खोजा जा सका और न ही उन बैंक कर्मचारियों को चिन्हित किया जा सके जो देश की अर्थव्यवस्था के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।जाली नोटों के प्रति रिजर्व बैंक के गंभीर होने के बाद भी बैंक प्रशासन इसके प्रति गंभीर नहीं है। बैंक प्रशासन ने इसे आम औपचारिकता कहकर इस मामले को मामूली बनाने का प्रयास किया है। बैंक प्रबंधक का कहना है कि इतने नोटों में कुछ जाली नोट आ जाएं तो उन्हें रोका नहीं जा सकता है। लेकिन सवाल उठता है कि जाली नोटों की बैंकों से हो रही बरामदगी के बाद आम उपभोक्ता भला बैंक द्वारा जारी किए नोटों पर कैसे भरोसा कर सकेगा। जबकि इससे पूर्व भी तमाम बैंक उपभोक्ताओं ने काउंटर पर जाली नोट का दावा किया परंतु या तो बैंक कर्मियों ने उस नोट को बदल दिया अथवा उस नोट को काउंटर से न दिए जाने का दावा कर अपना पल्ला झाड़ दिया।
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