इटावा। स्वास्थ्य सुविधाओं की रीढ़ समझी जाने वाली नर्स भला दूसरे मरीजों का उपचार क्या कर सकेंगीं जब प्रशिक्षण के दौरान ही उन्हें खुद के स्वास्थ्य पर संकट के बादल नजर आएं। असुरक्षित माहौल में रह कर सड़ा-गला भोजन खाने के बाद भी यदि उनका लगातार शोषण होता रहे तो भला प्रशिक्षणोपरांत इन नर्सों से क्या अपेक्षा की जाएगी। जनपद के एकमात्र एएनएम ट्रेनिंग सेंटर की बदहाली व असुरक्षित माहौल तथा सड़े-गले भोजन करने वाली यह प्रशिक्षु नर्सें लगातार अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंतित रहतीं हैं परंतु स्वास्थ्य सुविधाओं की रखवाले माने जाने वाले मुख्य चिकित्सा अधिकारी को शायद इनकी असुविधाओं से कोई सरोकार ही नहीं रह गया है।पोस्टमार्टम गृह से सटे इस एएनएम प्रशिक्षण केंद्र की क्षमता जहां महज तीस प्रशिक्षार्थियों के प्रशिक्षण की है वहीं वर्तमान में यहां साठ प्रशिक्षु नर्सें रह रहीं हैं। इन प्रशिक्षु नर्सों की हिफाजत के प्रति स्वास्थ्य विभाग किस कदर गंभीर है इसकी बानगी इसी से समझी जा सकती है कि इन प्रशिक्षुओं की सुरक्षा के लिए यहां गार्ड तक मौजूद नहीं है। इतना ही नहीं यहां बिजली चले जाने पर कोई व्यवस्था नहीं है और शाम आठ बजे के बाद इन प्रशिक्षु नर्सों को वहीं बंधकों की भांति कैद कर दिया जाता है। यदि इसी मध्य किसी प्रशिक्षु को किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या आती है तो उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।क्षमता से अधिक रहने वाली इन प्रशिक्षु नर्सों की समस्या तब और बढ़ जाती है जब विद्युत कटौती के शेड्यूल में विद्युतपूर्ति बाधित हो जाती है। भीषण गर्मी में एक-एक कमरे में पंद्रह प्रशिक्षु भला कैसे रह पातीं होगीं, सहज ही समझा जा सकता है। इसके अलावा इन प्रशिक्षु नर्सों को मिलने वाली खाद्य सामग्री में सामने दिख रहे कीड़ों के बावजूद भी उस दूषित भोजन को खाना मजबूरी है क्योंकि इनके पास इससे बचने का कोई विकल्प नहीं है। प्रशिक्षु नर्स बतातीं हैं कि चावल, आटा व सब्जियां सभी कुछ सड़ी हुई दी जातीं हैं। ऐसे में जब हम अपने स्वास्थ्य के प्रति खुद ही सचेत नहीं रह पाते हैं तो भला दूसरों को क्या स्वास्थ्य के प्रति सचेत कर सकेंगें।इन प्रशिक्षुओं को चिकित्सालय तक पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने किसी वाहन तक की व्यवस्था नहीं की गई है। परिणाम स्वरूप इस भीषण गर्मी के माहौल में इन्हें पैदल ही जिला चिकित्सालय तक जाना पड़ता है। इस संबंध में जब भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी से शिकायत करने की कोशिश की गई तो धमका कर चुप करा दिया जाता है। इतना ही नहीं इस प्रशिक्षण केंद्र में किसी वार्डन तक की व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं इस प्रशिक्षण केंद्र की बदहाली की दास्तां इसी से समझी जा सकती है कि बचा-खुचा खाद्य पदार्थ प्रशिक्षण केंद्र के पीछे ही फेंक दिया जाता है जिससे माहमारी फैलने की आशंका इन प्रशिक्षु नर्सों को लगातार सालती रहती है।प्रशिक्षु नर्सों के प्रति स्वास्थ्य विभाग का रवैया कितना संवेदनशील है यह इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि बाथरूम चाWक हो जाने के बाद इन प्रशिक्षु नर्सों को खुले में स्नानादि करने को मजबूर होना पड़ता है। बहरहाल इन प्रशिक्षु नर्सों मे स्वास्थ्य विभाग के रवैये के प्रति गहरा आक्रोश व्याप्त हैं परंतु उनकी समस्याओं के निवारण के प्रति स्वास्थ्य विभाग कतई गंभीर नहीं हैं।
शनिवार, 27 जून 2009
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