मंगलवार, 6 जुलाई 2010

एटीएम यूजर्स सावधान !

यदि आप एटीएम कार्ड के यूजर्स हैं तो एटीएम मशीन में घुसने से पहले सतर्क हो जाएं। अन्यथा कहीं ऐसा न हो कि किसी की नजर आपके पासवर्ड पर हो और वह आपके पासवर्ड को चोरी कर रहा हो। एटीएम मशीन के गार्डों पर भी कतई ऐतबार न करें। इतना ही नहीं एटीएम कार्ड और अपना पासवर्ड किसी को न बताएं, चाहे वह आपका कितना ही करीबी क्यों न हो। आपके कार्ड का दुरुपयोग हो सकता है। जब कुछ ऐसा ही सेना में कार्यरत अजय कुमार सिंह के साथ हुआ तो चौंकना स्वाभाविक था। एटीएम के बारे में गहना से पारंगत होने के अभाव में उसने एटीएम मशीन के गार्ड की मदद ली मगर गार्ड ने अपने एक सहयोगी के माध्यम से किसी प्रकार उसका एटीएम कार्ड बदल लिया और तीन दिन में ही 51 हजार रुपये एटीएम के माध्यम से निकाल लिए। अब पुलिस बेशक मामले की जांच कर रही हो, परंतु बैंक प्रबंध तंत्र ने साफ तौर पर नसीहत दे डाली कि एटीएम यूजर्स को सतर्कता बरतनी चाहिए।इकदिल थाना क्षेत्र का रहने वाला अजय कुमार सिंह पंजाब नेशनल बैंक का एटीएम कार्ड धारक है। वह विगत 23 जून का जब शास्त्री चौराहा स्थित भारतीय स्टेट बैंक की एटीएम मशीन से रुपये निकालने गया तो कुछ असुविधा होने पर उसने एटीएम पर तैनात गार्ड सुनील कुमार से मदद मांगने की भूल कर दी। फिर क्या था सुनील ने अपने सहयोगी रामगोपाल के पुत्र राजेश कुमार से मदद कराने का भरोसा दिलाया और विश्ववास में लेकर अजय कुमार से उसका पासवर्ड हासिल कर लिया। इसके बाद चालाकी से अजय को पंजाब नेशनल बैंक का ही दूसरा एटीएम कार्ड पकड़ा दिया और उसकी अनुपस्थिति में उसके खाते से 51 हजार 520 रुपये कानपुर के नयागंज की बैंक शाखा के एटीएम कार्ड से निकाल लिए। इस मामले में अब पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच आरंभ कर दी है। अब पुलिस हिरासत में दोनों एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोप रहे हैं।अजय कुमार सिंह के एटीएम से चोरी हुए रुपये में बैंक प्रबंध तंत्र अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकता। बकौल आरोपी गार्ड सुनील कुमार कहता है कि राजेश कुमार कानपुर से सिलैक्ट होकर आया था। उसने वह नियुक्ति पत्र उसे दिखाया और गार्ड ने तुरंत उसे एटीएम की सुरक्षा का भार सौंप दिया। उसने बताया कि यह विभिन्न प्रकार के कार्ड लेकर एटीएम का प्रयोग करता रहा। वहीं आरोपी राजेश कुमार का कहना था कि कानपुर की सिक्योरिटी कंपनी ने उसे नियुक्ति किया। कंपनी क ा फील्ड आॅफीसर आया और उसे पहले मंडी ब्रांच की जिम्मेदारी सौंपी, परंतु जब वहां तैनात गार्ड नौकरी जाने के भय से गिड़गिड़ाया तो उसे आठ दिन बाद ड्यूटी देने की बात कह फील्ड आफीसर चला गया। सवाल यहां खड़ा होता है कि बैंक के मुख्य द्वार पर लगे एटीएम की सुरक्षा की जिम्मेदारी एक अजनबी के हाथ में तीन दिन तक रही और बैंक प्रबंध तंत्र सोता रहा। वह इससे भी अधिक फ्रॉड कर सकता था। वह लगातार एटीएम मशीन से छेड़छाड़ करता रहा, परंतु एटीएम मशीन में लगे खुफिया कैमरे की नजर भला उस पर कैसे नहीं पड़ी और यदि पड़ी तो बैंक प्रबंधन क्या कर रहा था। ऐसे में भला बैंक प्रबंध तंत्र तो कहीं न कहीं सवालों में है और उसे जबाब देना होगा कि आखिर इतनी बड़ी चूक हुई कैसे?पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक चंद्रभान सिंह नसीहत देते हैं कि एटीएम का प्रयोग करने वाले उपभोक्ता एटीएम के प्रति सतर्कता बरतें। अन्यथा उनके रुपये चोरी हो सकते हैं, परंतु साथ ही यह भी कहते हैं कि यदि एटीएम कार्ड और पासवर्ड (पिन नंबर) दोनों आपके हाथ से नहीं जाएंगे तो आपके रुपये चोरी नहीं हो सकते हैं। वे कहते हैं कि उपभोक्ता को रुपये निकालते समय पूरी सतर्कता बरतनी चाहिए। वे स्वीकारते हैं कि अक्सर इस प्रकार की घटनाएं कार्ड धारक का कोई अति नजदीकी ही करता है, परंतु ऐसे मामलों में कार्डधारक को किसी नजदीकी पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए।

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