रविवार, 2 अगस्त 2009

प्यार के पुजारी या प्यार के पापी है हम ?

दुनिया प्यार कि आज से दुश्मन नहीं है ये तो सदियों से जारी है कि प्यार करने वाले दुश्मनों कि वजह से प्यार को तरसते रहे है तो आज जब ये सब कुछ हो रहा है तो कोई नई बात नहीं लगती है,हर तरफ प्यार के दुश्मनों कि फौज ही फौज नजर आ रही है तभी तो प्यार करने वालों को अपने अपने तरीके से सजा दी जा रही है किसी को बाल काट कर सजा दी जा रही है ,तो किसी को पीट पीट कर अधमरा किया जा रहा है,इतना ही नहीं किसी को मौत के घाट उतर कर गुस्सा निकला जा रहा है लेकिन कोई ये जानना नहीं चाह रहा है कि प्यार करने वालों को क्या चाहिए ?बात करते है प्यार को लेकर मचे बबाल पर ,उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में एक जोड़े को प्यार करने की सजा दी गई। उसे दो दिन तक बंद करके यातनाएं दी गईं। दोनों एक ही गोत्र के हैं.इसलिए उनके खिलाफ पंचायत बैठी और फिर इलाके के लोगों ने दोनों के बाल काट दिए तथा पूरे मोहल्ले में जुलूस निकाला। किसी तरह लड़का इनके चंगुल से छूटा तो वो मुरादाबाद के एस पी सिटी से मिला और उन्हें पूरी घटना की जानकारी दी। पुलिस ने लड़के की निशानदेही पर छापा मारकर लड़की को बरामद कर लिया जाता है , फिलहाल सुरक्षा की दृष्टि से दोनों थाने में रखा गया है. पीतल का काम करने वाले युवक का गुनाह इतना है कि इसने सैनी होते हुए एक ही गौत्र की युवती से प्यार किया। पुलिस को देखकर बिरादरी के सरपंच बने लोग वहां से भाग निकले। युवती उस समय बेहद घबराई हुई थी। पुलिस सीधे बबीता को लेकर जिला चिकित्सालय पहुंची और पहले उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया। दोनों को सुरक्षा की दृष्टि से फिलहाल पुलिस अभिरक्षा में रखा गया है। इनमें युवक का पिता बाबू राम, लड़की का पिता बनवारी और लड़के का दादा डालचंद शामिल है। बाबू राम ने ही बिरादरी की पंचायत बुलाई थी. उनकी बिरादरी के लोगों ने दोनों को भरोसा दिलाया कि उनकी शादी करा दी जाएगी लेकिन जैसे ही दोनों मौके पर पहुंचे तो लोग उन पर टूट पड़े और फिर लड़के को पूरी तरह से गंजा कर दिया गया। लड़की को भी नहीं बख्शा गया। उसके भी सिर को आधा गंजा कर दिया गया। ऐसा करने के बाद दोनों को एक घर के अलग-अलग कमरे में कैद कर दिया गया।ये तो सिर्फ मात्र उदहारण है,इससे कही अधिक तो प्यार के ऐसे मामले है, जिनमे प्रेमी जोडों ने सजा पाई और हम खुश होते है ये कह कर कि पाप करने वालों को सजा दी है लेकिन हम प्यार करने वालों पर अत्याचार करके क्या हम खुद पापी नहीं है.

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